प्यार करिश्मा कैसा यारो ,
हँसना हमें सिखाया है
प्यार हुआ है जब से हमको ,
जीने का ढंग आया है
प्यार नही था जब तक हमको ,
हम तो रूखे रूखे थे
सावन भी आता था लेकिन ,
दिल के तरु सब सूखे थे
दुनिया लगती है अब प्यारी ,
प्यार को जब से पाया है
हर लम्हा उनकी यादों का ,
तोहफा लेकर आया है
कागज़ पर शब्दों की महक ने ,
ऐसा जाल बिछाया है
कि आज मेरा महबूब भी चलकर ,
मेरे दर पर आया है
चाल शराबी होंठ गुलाबी ,
नैनों मैं मदिरा लाया
बातें उसकी रस कि प्याली ,
साथ बहारे वो लाया
जीवन ये खुशियों का सागर ,
अब तो हमको लगता है
तनहा रहकर अब हर लम्हा ,
हमको डंसता रहता है
Saturday, March 21, 2009
शब्दों की महक !
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