Saturday, March 21, 2009

शब्दों की महक !

प्यार करिश्मा कैसा यारो ,

हँसना हमें सिखाया है

प्यार हुआ है जब से हमको ,

जीने का ढंग आया है

प्यार नही था जब तक हमको ,

हम तो रूखे रूखे थे

सावन भी आता था लेकिन ,

दिल के तरु सब सूखे थे

दुनिया लगती है अब प्यारी ,

प्यार को जब से पाया है

हर लम्हा उनकी यादों का ,

तोहफा लेकर आया है

कागज़ पर शब्दों की महक ने ,

ऐसा जाल बिछाया है

कि आज मेरा महबूब भी चलकर ,

मेरे दर पर आया है

चाल शराबी होंठ गुलाबी ,

नैनों मैं मदिरा लाया

बातें उसकी रस कि प्याली ,

साथ बहारे वो लाया

जीवन ये खुशियों का सागर ,

अब तो हमको लगता है

तनहा रहकर अब हर लम्हा ,

हमको डंसता रहता है