Tuesday, November 24, 2009

मधु स्मृति

तुम कहती कि पी पी कर मैं
मधुशाला ही में मिट जाऊंगा
तुम क्या जानो मिटने पर भी
प्रेमी मय का कहलाऊंगा
मयखाने के हर कोने में
तब चर्चे मेरे गूजेंगे
मय के प्रेमी नाम मेरा ले
अपना प्याला चूमेंगे
फिर सारे मय प्रेमी मिलकर
मन्दिर एक बनायेंगे
मूर्ति न होगी कोई उसमे
बोतल को वहां सजायेंगे
मेरी पुस्तक मधु स्मृति के कुछ अंश
करन उप्रेती