Friday, April 2, 2010

तू जो नहीं है तो कुछ भी नहीं है
ये माना कि महफ़िल जवां है हसीं है
मुझे फिर तबाह कर मुझे फिर रुला जा
सितम करने वाले कहीं से तू आ जा
आखों में तेरी ही सूरत बसी है
तेरी ही तरह तेरा गम भी हंसी है
जिधर भी ये देखे जहाँ भी ये जाएँ
तुझे ढूंढती हैं ये पागल निगाहें
मैं जिन्दा हूँ लेकिन कहाँ जिंदगी है
मेरी जिंदगी तू कहाँ खो गई है

चाँद
के
पार
चलें