Wednesday, January 6, 2010

नानू

मेरी दुनिया में आये थे ,
तेरा ऐसे फिर जाना क्यों ?
गले मुझको लगाकर के ,
तेरा मुझको ठुकराना क्यों ?
मुझे करके यहाँ तन्हा ,
छुपा है क्यों तू बता दे तू
कहाँ तेरी वो दुनिया है ,
मुझको उसका पता दे तू
बड़ी जालिम ये दुनिया है ,
ग़मों में मेरे हंसती है
तेरी बीती वो यादें सब ,
मुझे आकर क्यों डंसती है
ये दिल कैसा दीवाना है ,
तुम्ही को याद करता है
पता इसको न आओगे ,
मगर फरियाद करता है
तेरे बिन अब यहाँ जीना ,
मेरा मुश्किल हुआ जाता
बसा है तू जहाँ जाकर ,
मुझे भी तो बुला ले तू
दिखाने मोह कुछ दिन का ,
मेरी दुनिया में क्यों आया
खता की थी कहाँ मैंने ,
मुझे ऐसे क्यों तड़पाया
& करन उप्रेती &

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