Thursday, January 7, 2010

आसूं

आसूं क्यों छलके हैं आज,
क्यों टूटा है दिल का साज
कहाँ खो गए मीत वो सारे,
जो चलते थे मेरे साथ
क्यों कोई अब गीत न गाता ,
पास कोई क्यों मीत न आता
क्यों लब अपने सूखे हैं अब ,
क्यों हमको कोई समां न भाता
कहाँ खो गई बसंत बयार ,
तोता मैना का रूठा क्यों प्यार
दर्द के मारे क्यों फिरते सब ,
रूठा क्यों अपनों का दुलार

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